हजारों बहुदिव्यांगों को नहीं मिल पा रही है नौकरियाँ :-

हजारों योग्य बहु-दिव्यांग व्यक्तियों को नियमों की गफलत के कारण नौकरियाँ नहीं मिल रही हैं। युवा दिव्यांगों को भर्ती में नुकसान हो रहा है। केंद्र सरकार ने 2016 में निशक्तजन अधिकार अधिनियम के तहत चार श्रेणियाँ बनाकर दिव्यांगजन को 1% आरक्षण का प्रावधान रखा, जो 2019 से राजस्थान में लागू हुआ।

हालांकि, दिव्यांगजनों को राजस्थान में आरपीएससी की भर्तियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। आरपीएससी ने केंद्र सरकार के नियमों का मनमाना अर्थ निकालकर योग्य बहु-दिव्यांग व्यक्तियों को भर्ती से दूर रखा है। इसके लिए कुछ बहु-दिव्यांगों ने 2023 में कोर्ट में भी अपील की है।

हाल ही में आरएएस की भर्ती में कई बहु-दिव्यांग इसलिए फार्म नहीं भर पाए क्योंकि आरपीएससी ने अपने नियम बदल दिए हैं। आरपीएससी के बनाए नियमों के कारण बहु-दिव्यांग श्रेणी में कई सीटें खाली रह जाती हैं। आरएएस 2021 में 5 सीटों पर 1 अभ्यर्थी को बहु-दिव्यांग माना गया, जबकि 4 पद रिक्त रह गए।

हजारों बहुदिव्यांगों को नहीं मिल पा रही है नौकरियाँ 2024
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राजस्थान में आरपीएससी का नियम :-

राजस्थान में आरपीएससी मांगती है कि अभ्यर्थी में दो से अधिक दिव्यांगता हो, जबकि केंद्र में केवल दो दिव्यांगता का प्रावधान है। आरपीएससी में दिव्यांगजन के लिए अंधता-बहरापन के साथ दूसरी दिव्यांगता होना अनिवार्य है। पीड़ित दिव्यांगों ने बताया कि आरपीएससी द्वारा जारी भर्ती विज्ञापनों में बहु-दिव्यांग उप-श्रेणी के लिए अंधता-बहरापन की अनिवार्यता का मनमाना नियम बनाया गया है।

इस कारण, हजारों योग्य बहु-दिव्यांग अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रियाओं से बाहर होना पड़ रहा है। देशभर की कई भर्तियों में, जैसे कि यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा और एसएससी द्वारा आयोजित जेई सीजीएल में, अंधता-बहरापन की कोई अनिवार्यता नहीं है।

केंद्र की स्पष्ट गाइडलाइन :-

केंद्र सरकार ने बहु-दिव्यांग जन के लिए स्पष्ट गाइडलाइन जारी की है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 4 जनवरी 2021 को प्रकाशित गजट नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया है कि बहु-दिव्यांगता के लिए किसी दो दिव्यांगताओं का होना आवश्यक है। यह हाल तब है जब केंद्र सरकार की ओर से राजस्थान सरकार को भी इस संबंध में निर्देश दिए जा चुके हैं कि आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के लिए व्यक्ति के पास दो दिव्यांगताएँ होनी चाहिए, न कि केवल अंधता और बहरापन के साथ एक और दिव्यांगता होनी चाहिए।

Conclusion :-

यह पाठ दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सरकारी नौकरी में आरक्षण की समस्याओं को स्पष्ट करता है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे समझना आसान होगा:

आरक्षण का प्रावधान :-

केंद्र सरकार ने 2016 में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत चार श्रेणियों में दिव्यांगों को 1% आरक्षण दिया, जो राजस्थान में 2019 से लागू हुआ।

भर्तियों में समस्या :-

राजस्थान में आरपीएससी (राजस्थान लोक सेवा आयोग) ने केंद्र सरकार के नियमों की मनमानी व्याख्या कर योग्य बहु-दिव्यांग व्यक्तियों को नौकरी से बाहर रखा है।

कोर्ट में अपील :-

कुछ बहु-दिव्यांग व्यक्तियों ने 2023 में इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में अपील की है, क्योंकि हाल की आरएएस भर्ती में कई अभ्यर्थी फार्म नहीं भर पाए।

मनमाने नियम :-

आरपीएससी की अनिवार्यता के अनुसार, दिव्यांगों के लिए अंधता और बहरापन के साथ दूसरी दिव्यांगता होना आवश्यक है, जो अन्य सरकारी भर्तियों में नहीं है।

केंद्र सरकार की गाइडलाइन :-

केंद्र सरकार ने 2021 में स्पष्ट किया कि बहु-दिव्यांगता के लिए किसी दो दिव्यांगताओं का होना जरूरी है, और अंधता-बहरापन की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए।

इस प्रकार, यह मुद्दा न केवल दिव्यांगों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि यह उनकी समुचित अवसरों तक पहुंच को भी सुनिश्चित करता है।

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