RCI की वैधानिक चेतावनी, बिना पंजीकरण अभ्यास करना अपराध 2025 :-

भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) ने दिव्यांग व्यक्तियों को सेवाएं प्रदान करने वाले अयोग्य और गैर-पंजीकृत पेशेवरों के खिलाफ सख्त चेतावनी जारी की है। आरसीआई अधिनियम संख्या 34/1992 की धारा 13(3) के तहत बिना पंजीकरण अभ्यास करना अपराध माना गया है, और इसके लिए सजा का प्रावधान है।

RCI
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क्या है आरसीआई अधिनियम, 1992 की धारा 13(3) ?

RCI अधिनियम की धारा 13(3) के अनुसार :-

कोई भी व्यक्ति, जिसके पास आरसीआई का वैध और सक्रिय पंजीकरण नहीं है, यदि दिव्यांग व्यक्तियों को सेवाएं प्रदान करते हुए पाया जाता है, तो उसे

  • एक वर्ष तक का कारावास,
  • या ₹1000 तक का जुर्माना,
  • या दोनों दंडित किया जा सकता है।

नीम हकीमों और गैर-पंजीकृत पेशेवरों पर सख्त निगरानी :-

परिषद ने पाया है कि कई अयोग्य और गैर-पंजीकृत पेशेवर दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षण और सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। यह न केवल गैर-कानूनी है, बल्कि समाज के लिए खतरनाक भी है।
आरसीआई ने ऐसे मामलों की पहचान के लिए आम जनता से सहयोग मांगा है।

आम जनता के लिए अपील :-

  • यदि आपको किसी गैर-पंजीकृत पेशेवर द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों को सेवा प्रदान करने का मामला पता चलता है, तो इसकी सूचना तुरंत आरसीआई को दें।
  • सूचना के साथ दस्तावेजी साक्ष्य भी प्रस्तुत करें।
  • सूचना भेजने के लिए डाक, फैक्स या ईमेल का उपयोग कर सकते हैं।

संपर्क विवरण :-

  • डाक द्वारा: आरसीआई कार्यालय के पते पर।
  • फैक्स द्वारा: परिषद के आधिकारिक फैक्स नंबर पर।
  • ईमेल द्वारा: आरसीआई के आधिकारिक ईमेल पते पर।

वैधानिक चेतावनी, सार्वजनिक हित में जारी :-

यह चेतावनी सार्वजनिक हित में जारी की गई है ताकि

  1. दिव्यांग व्यक्तियों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान की जा सकें।
  2. अयोग्य और गैर-पंजीकृत पेशेवरों के गैर-कानूनी अभ्यास पर रोक लगाई जा सके।
  3. आम जनता को इस विषय में जागरूक किया जा सके।

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