Government Jobs भर्ती नियमों में बदलाव नहीं हो सकता, सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि सरकारी नौकरी भर्ती के नियमों को भर्ती प्रक्रिया के दौरान बदला नहीं जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि एक बार नियम तय हो जाने के बाद, उन्हें बदलने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि चयन के नियम संविधान के अनुरूप और निष्पक्ष होने चाहिए।

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किसी सरकारी नौकरी का सार्वजनिक रूप से विज्ञापन जारी होने के बाद से ही भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई मानी जाती है। चुने हुए उम्मीदवारों को नियुक्ति देने के साथ ही इस नियुक्ति प्रक्रिया का अंत होता है। एक बार प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया के नियम नहीं बदले जा सकते हैं। - जस्टिस पंकज मित्तल (संविधान पीठ की ओर से फैसला पढ़ने के दौरान कहा)

यह ऐतिहासिक फैसला पांच जजों की पीठ ने सुनाया, जिसकी अध्यक्षता Chief Justice चंद्रचूड ने की। इस फैसले में जजों ने कहा कि जब भर्ती प्रक्रिया चल रही हो, तो उसके नियमों में बदलाव की अनुमति नहीं दी जा सकती,

इस पांच जजों की पीठ में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय, पीएस नारसिम्हा, पंकज मितल और मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

क्या था मामला ?

यह मामला 2009 से जुड़ा हुआ है, जब राजस्थान हाईकोर्ट में अनुवादकों के 13 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। भर्ती के लिए उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा और इंटरव्यू देना था। कुल 21 उम्मीदवारों में से केवल 3 उम्मीदवारों को प्रशासनिक पक्ष द्वारा चयनित किया गया। बाद में यह खुलासा हुआ कि राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने एक नया आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि केवल उन्हीं उम्मीदवारों को चुना जाएगा जिन्होंने 75% अंक प्राप्त किए हों।

यह निर्णय तब लिया गया जब हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया की अधिसूचना पहले ही जारी कर दी थी, लेकिन इसमें 75% अंक का मानदंड कहीं नहीं था। इससे जिन उम्मीदवारों को चयन से वंचित किया गया था, उनमें से तेजप्रकाश पाठक और दो अन्य ने इस निर्णय को चुनौती दी थी।

राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई :-


2010 में राजस्थान हाईकोर्ट ने इन उम्मीदवारों की याचिका खारिज कर दी। इसके बाद, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। 2013 में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस मामले को पांच जजों की संविधान पीठ को रेफर किया, जिसने जुलाई 2024 में इस मामले में सुनवाई की और फैसला सुरक्षित रखा था।

सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्णय :-


सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद किसी नियम में बदलाव नहीं किया जा सकता, जब तक वह पहले से निर्धारित न हो। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि चयन सूची में नाम आने से किसी उम्मीदवार को नौकरी का अपरिवर्तनीय अधिकार नहीं मिल जाता है। सरकार के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी खाली पद को न भरे यदि उसे उचित लगे।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण सिद्धांत स्थापित किया है, जो भविष्य में भर्ती मामलों में मार्गदर्शन करेगा।

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