राजस्थान हाई कोर्ट ने REET level-2 2022 पर संशोधित परिणाम जारी करने पर लगी रोक हटाई :-

राजस्थान हाई कोर्ट ने 2022 में आयोजित तीसरी श्रेणी REET level-2 2022 के विवादास्पद प्रश्नों के कारण फंसे परिणामों पर लगी रोक को हटा दिया है। इस फैसले के तहत कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पहले से नियुक्त शिक्षकों के परिणामों पर संशोधन का कोई असर नहीं होगा। यह महत्वपूर्ण आदेश राजस्थान हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिया, जिसमें मुख्य न्यायधीश श्री एम.एम. श्रीवास्तव और न्यायधीश श्री आशीष कुमार शामिल थे।

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मामले की पृष्ठभूमि :-

राजस्थान में तीसरी श्रेणी शिक्षक भर्ती (लेवल-2) के तहत लगभग 27,000 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में कई प्रश्नों को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ था, जिसे लेकर अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई थी। इनमें से कुछ प्रश्नों को गलत या अस्पष्ट मानते हुए एकल पीठ ने विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति का आदेश दिया था, ताकि उन प्रश्नों की जांच की जा सके और उनके आधार पर परिणामों में संशोधन किया जा सके।इसके बाद, 14 नवंबर 2023 को डिवीजन बेंच ने एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर परिणामों में संशोधन किया जाएगा। डिवीजन बेंच ने यह भी आदेश दिया था कि जिन शिक्षकों को पहले ही नियुक्ति मिल चुकी है, उनका चयन इस प्रक्रिया से प्रभावित नहीं होगा।

अपीलकर्ताओं का विरोध :-

इस फैसले को चुनौती देते हुए अपीलकर्ताओं, यानी सरिता कुमारी और कन्हैयालाल ने अदालत में दायर याचिका में कहा कि एकल पीठ का आदेश उनके अधिकारों को नुकसान पहुंचा रहा है। उनका तर्क था कि भर्ती में लगभग 27,000 पदों के लिए आवेदन हुआ था और इनमें से करीब 25,000 उम्मीदवारों को पहले ही नियुक्ति मिल चुकी है। ऐसे में, अगर संशोधित परिणाम जारी किए जाते हैं, तो उनका चयन प्रभावित हो सकता था।इसके अलावा, अपीलकर्ताओं ने यह भी कहा कि एकल पीठ के आदेश में भर्ती के मेरिट या परिणाम पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए गए थे। वे यह मानते थे कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर आधारित परिणामों का संशोधन बिना उचित विचार-विमर्श के किया जा सकता है, जो उनके चयन के अधिकारों का उल्लंघन कर सकता था।

कोर्ट का फैसला :-

कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय लिया कि एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाई जाए और मामले की जांच की जाए। डिवीजन बेंच ने 14 नवंबर 2023 को एकल पीठ के आदेश को स्थगित कर दिया और स्टाफ सेलेक्शन बोर्ड से इस मामले में विस्तृत जवाब मांगा।कोर्ट ने यह भी साफ किया कि जो शिक्षक पहले ही नियुक्त हो चुके हैं, उनका चयन और परिणाम इस संशोधित प्रक्रिया से प्रभावित नहीं होगा। इस निर्णय से पहले से नियुक्त शिक्षकों को राहत मिली है, क्योंकि उनका कार्यकारी नियुक्ति और सेवाएं सुरक्षित रहेंगी।

विशेषज्ञ समिति का गठन :-

इसके अलावा, एकल पीठ ने स्टाफ सेलेक्शन बोर्ड को निर्देश दिया था कि वह विवादास्पद प्रश्नों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करे और उसके आधार पर संशोधित परिणाम जारी करे। इस समिति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों में कोई गलती या असंगति नहीं थी, जिससे उम्मीदवारों को नुकसान हो।

निष्कर्ष :-

राजस्थान हाई कोर्ट का यह फैसला नियुक्त शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि पहले से नियुक्त शिक्षकों का चयन प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि विवादास्पद प्रश्नों के बारे में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर पुनः विचार किया जाएगा। इस फैसले से उन उम्मीदवारों को उम्मीदें हैं जिन्होंने भर्ती में शामिल होकर नियुक्ति प्राप्त की है और वे अब बिना किसी चिंता के अपनी सेवाएं देने में सक्षम होंगे।

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