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Special Diploma, IDD, Paper -2, CHARACTERISTICS OF CHILDREN WITH DEVELOPMENTAL DISABILITIES, Unit-5 (विकासात्मक विकलांगताओं वाले बच्चों की विशेषताएँ)

Unit 5: Learning Characteristics of Students with SLD
5.1 Basic understanding of specific learning disability, definition and description (concept, aetiology, prevalence, incidence, historical perspective, cultural perspective, myths, recent trends and updates), dyslexia, dysgraphia, dyscalculia, dyspraxia, and developmental aphasia.
5.2 Attention, perception, memory, thinking characteristics, motor perception
5.3 Reading-related characteristics
5.4 Writing-related characteristics
5.5 Math-related characteristics

अध्यान 5: विशेष अध्ययन विकलांगता (SLD) वाले छात्रों की अध्ययन विशेषताएँ
5.1 विशेष अध्ययन विकलांगता की बुनियादी समझ, परिभाषा और विवरण (संकल्पना, उत्पत्ति, प्रसार, घटना, ऐतिहासिक दृष्टिकोण, सांस्कृतिक दृष्टिकोण, मिथक, हाल की प्रवृत्तियाँ और अद्यतन), डिस्लेक्सिया, डिस्ग्राफिया, डिस्कैलकुलिया, डायप्रेक्सिया और विकासात्मक अफेज़िया।
5.2 ध्यान, धारण, स्मृति, सोच विशेषताएँ, मोटर धारण
5.3 पढ़ाई से संबंधित विशेषताएँ
5.4 लेखन से संबंधित विशेषताएँ
5.5 गणित से संबंधित विशेषताएँ

5.1, Basic understanding of specific learning disability, definition and description (concept, aetiology,
prevalence, incidence, historical perspective cultural perspective, myths, recent trends and
updates), dyslexia, dysgraphia, dyscalculia, dyspraxia and developmental aphasia

विशिष्ट अधिगम विकलांगता की बुनियादी समझ, परिभाषा और विवरण (अवधारणा, एटियोलॉजी, व्यापकता, घटना, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य, मिथक, हाल के रुझान और अपडेट), डिस्लेक्सिया, डिस्ग्राफिया, डिस्कैलकुलिया, डिस्प्रैक्सिया और विकासात्मक वाचाघात

अधिगम अक्षमता शब्द दो अलग-अलग शब्दों से मिलकर बना है – “अधिगम” और “अक्षमता”। “अधिगम” का अर्थ है सीखना और “अक्षमता” का अर्थ है किसी क्षमता का अभाव या अनुपस्थिति। सामान्य भाषा में, अधिगम अक्षमता का मतलब है सीखने की क्षमता में कमी या अनुपस्थिति।

सीखने में कठिनाइयों को समझने के लिए हमें बच्चे की सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारकों का आकलन करना चाहिए। इस शब्द का पहली बार 1963 में सैमुअल किर्क द्वारा किया गया था, और इसे निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया गया था।

अधिगम अक्षमता (Learning Disability) को वाक्, भाषा, पठन, लेखन, अंकगणितीय प्रक्रियाओं में से किसी एक या अधिक प्रक्रियाओं में मंदता, विकृति अथवा अवरूद्ध विकास के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो संभवतः मस्तिष्क कार्यविरूपता और/या संवेगात्मक अथवा व्यवाहरिक विक्षोभ का परिणाम होती है, न कि मानसिक मंदता, संवेदी अक्षमता या संस्कृतिक अनुदेशन कारकों का। (किर्क, 1963)

इसके बाद से, अधिगम अक्षमता को परिभाषित करने के लिए विद्वानों द्वारा निरंतर प्रयास किए गए, लेकिन अब तक कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं विकसित हो पाई।

अमेरिका में विकसित फेडरल परिभाषा के अनुसार, विशिष्ट अधिगम अक्षमता को लिखित एवं मौखिक भाषा के प्रयोग और समझने में शामिल एक या अधिक मूल मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं में विकृति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो व्यक्ति के सोच, वाक्, पठन, लेखन और अंकगणितीय गणना को पूर्ण या आंशिक रूप से प्रभावित करती है। इस परिभाषा में इन्द्रियजनित विकलांगता, मस्तिष्क क्षति, अल्पतम असामान्य दिमागी प्रक्रिया, डिस्लेक्सिया, और विकासात्मक वाचाघात आदि शामिल हैं। इसके अंतर्गत ऐसे बच्चे शामिल नहीं होते हैं जिनकी अधिगम समस्याएँ दृष्टि, श्रवण या गामक विकलांगता, संवेगात्मक विक्षोभ, मानसिक मंदता, संस्कृतिक या आर्थिक दोष के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं। (फेडरल रजिस्टर, 1977)

इन परिभाषाओं की समीक्षा से यह कहा जा सकता है कि अधिगम अक्षमता एक व्यापक संप्रत्यय है, जिसके अंतर्गत वाक्, भाषा, पठन, लेखन और अंकगणितीय प्रक्रियाओं में से एक या अधिक के प्रयोग में विकृति को शामिल किया जाता है, जो सामान्यतः केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के सुचारू रूप से कार्य न करने के कारण उत्पन्न होती है। यह समस्या स्वभाव से आंतरिक होती है और किसी व्यक्ति के जीवनभर बनी रहती है।

Special Diploma, IDD, Paper -2, CHARACTERISTICS OF CHILDREN WITH DEVELOPMENTAL DISABILITIES, Unit-5
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ऐतिहासिक परिदृश्य:

अधिगम अक्षमता के इतिहास पर दृष्टिपात करने से यह पता चलता है कि इस शब्द ने अपना वर्तमान रूप ग्रहण करने के लिए एक लंबा सफर तय किया है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1963 में सैमुअल किर्क द्वारा किया गया था। इसके पहले विद्वानों ने विभिन्न कार्यक्षेत्रों के आधार पर इस शब्द के लिए विभिन्न नामों का प्रयोग किया था। उदाहरण के लिए:

  • न्यूनतम मस्तिष्क क्षति (औषधि विज्ञानियों या चिकित्सा विज्ञानियों द्वारा)
  • मनोस्नायूजनित विकलांगता (मनोवैज्ञानिकों और स्नायुवैज्ञानिकों द्वारा)
  • अतिक्रियाशिलता (मनोवैज्ञानिकों द्वारा)
  • न्यूनतम उपलब्धता (शिक्षा मनोवैज्ञानिकों द्वारा)

अधिगम अक्षमता की प्रकृति:

अधिगम अक्षमता की विभिन्न मान्यताओं पर दृष्टिपात करने से हम निम्नलिखित बातें समझ सकते हैं:

  1. यह आंतरिक होती है – यह मस्तिष्क की कार्यविरूपता से संबंधित एक समस्या है, जो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक कार्यप्रणाली को प्रभावित करती है।
  2. यह स्थायी स्वरूप का होता है – यह जीवनभर बनी रहने वाली समस्या है, जिसे समय के साथ ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे उपयुक्त तरीके से संभाला जा सकता है।
  3. यह विकृतियों का एक समूह है – अधिगम अक्षमता कोई एक विकृति नहीं है, बल्कि यह विकृतियों का एक समुच्चय है, जिसमें व्यक्ति के सोचने, बोलने, पढ़ने, लिखने और अंकगणितीय गणना के कौशल प्रभावित हो सकते हैं।
  4. यह एक जैविक समस्या है – चूंकि यह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित है, अतः यह जैविक कारणों से उत्पन्न होती है।
  5. यह मनोवैज्ञानिक समस्या भी है – यह व्यक्ति के मानसिक और संज्ञानात्मक कार्यों में विकृति का परिणाम होती है, और इसमें संवेगात्मक विक्षोभ भी हो सकता है।

अधिगम अक्षमता एक वृहद् प्रकार के कई आधारों पर विभेदीकृत किया गया है। ये सारे विभेदीकरण अपने उद्देश्यों के अनुकूल हैं। इसका प्रमुख विभेदीकरण ब्रिटिश कोलंबिया (201) एवं ब्रिटेन के शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक सपोर्टिंग स्टूडेंट्स विद लर्निंग डिएबलिटी: ए गाइड फॉर टीचर्स में दिया गया है, जो निम्नलिखित है:

  • डिस्लेक्सिया (पढ़ने संबंधी विकार)
  • डिस्ग्राफिया (लेखन संबंधी विकार)
  • डिस्कैलकूलिया (गणितीय कौशल संबंधी विकार)
  • डिस्फैसिया (वाक् क्षमता संबंधी विकार)
  • डिस्प्रैक्सिया (लेखन एवं चित्रांकन संबंधी विकार)
  • डिसऑर्थोग्राफिया (वर्तनी संबंधी विकार)
  • ऑडीटरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर (श्रवण संबंधी विकार)
  • विजुअल परसेप्शन डिसऑर्डर (दृश्य प्रत्यक्षण क्षमता संबंधी विकार)
  • सेंसरी इंटीग्रेशन ऑर प्रोसेसिंग डिसऑर्डर (इन्द्रिय समन्वयन क्षमता संबंधी विकार)
  • ऑर्गेनाइजेशनल लर्निंग डिसऑर्डर (संगठनात्मक पठन संबंधी विकार)

डिस्लेक्सिया – डिस्लेक्सिया शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्द डस और लेक्सिस से मिलकर बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है कथन भाषा (डिफिकल्ट स्पीच)। वर्ष 1887 में एक जर्मन नेत्र रोग विशेषज्ञ रूडोल्फ़ लिंड द्वारा खोजे गए इस शब्द को “शब्द अंधता” भी कहा जाता है। डिस्लेक्सिया को भाषायी और संकेतिक कोडों, भाषा के ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्णमाला के अक्षरों या संख्याओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अंकों के संसाधन में होने वाली कठिनाई के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह भाषा के लिखित रूप, मौखिक रूप एवं भाषायी दक्षता को प्रभावित करता है। यह अधिगम अक्षमता का सबसे सामान्य प्रकार है।


डिस्लेक्सिया के लक्षण – इसके निम्नलिखित लक्षण हैं:

  • पेचीदा शब्दों को पहचानने में कठिनाई
  • वर्णमाला अधिगम में कठिनाई
  • अक्षरों की ध्वनियों को सीखने में कठिनाई
  • एकाग्रता में कठिनाई
  • पढ़ते समय स्वर वर्णों का लोप होना
  • शब्दों को उल्टा या अक्षरों का क्रम इधर-उधर कर पढ़ा जाना, जैसे नाम को “मान” या “शावक” को “शक” पढ़ा जाना
  • वर्तनी दोष से पीड़ित होना
  • समान उच्चारण वाले ध्वनियों को न पहचान पाना
  • शब्दकोष का अभाव
  • भाषा का अर्थपूर्ण प्रयोग का अभाव
  • क्षीण स्मरण शक्ति

डिस्लेक्सिया का उपचार – डिस्लेक्सिया का पूर्ण उपचार असंभव है, लेकिन इसे उचित शिक्षण अधिगम पद्धति के द्वारा न्यूनतम स्तर पर लाया जा सकता है।


डिस्ग्रफिया – डिस्ग्रफिया अधिगम अक्षमता का वह प्रकार है जो लेखन क्षमता को प्रभावित करता है। यह वर्तनी संबंधी कठिनाई, खराब हस्तलेखन एवं अपने विचारों को लिपिवद्ध करने में कठिनाई के रूप में जाना जाता है। (नेशनल सेंटर फॉर लर्निंग डिसेबिलिटीज़, 2006)

डिस्ग्रफिया के लक्षण इसके निम्नलिखित लक्षण हैं:

  • लिखते समय स्वयं से बातें करना।
  • अशुद्ध वर्तनी एवं अनियमित रूप और आकार वाले अक्षर लिखना।
  • पठनीय होने पर भी कापी करने में अत्यधिक श्रम का प्रयोग करना।
  • लेखन सामग्री पर कमजोर पकड़ या लेखन सामग्री को कागज के बहुत नजदीक पकड़ना।
  • अपठनीय हस्तलेखन।
  • लाइनों का ऊपर-नीचे लिया जाना एवं शब्दों के बीच अनियमित स्थान छोड़ना तथा अपरंपूर्ण अक्षर या शब्द लिखना।

उपचार कार्यक्रम – चूंकि यह एक लेखन संबंधी विकार है, अतः इसके उपचार के लिए यह आवश्यक है कि इस अधिगम अक्षमता से ग्रसित व्यक्ति को लेखन का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास कराया जाए। उपचार के अंतर्गत लेखन की संरचना और पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अभ्यास के माध्यम से सुधार लाना चाहिए।


डिस्कैलकुलिया – यह एक व्यापक पद है जिसका प्रयोग गणितीय कौशल अक्षमता के लिए किया जाता है। इसके अंतर्गत अंकों और संख्याओं के अर्थ को समझने की अयोग्यता से लेकर अंकगणितीय समस्याओं के समाधान में सूत्रों और सिद्धांतों का प्रयोग करने की अयोग्यता तथा सभी प्रकार की गणितीय अक्षमता शामिल है।

डिस्कैलकुलिया के लक्षण इसके निम्नलिखित लक्षण हैं:

  • नाम एवं चेहरा पहचानने में कठिनाई।
  • अंकगणितीय संक्रियाओं के चिह्नों को समझने में कठिनाई।
  • अंकगणितीय संक्रियाओं के अशुद्ध परिणाम मिलना।
  • गिनने के लिए उँगलियों का प्रयोग करना।
  • वित्तीय योजना या बजट बनाने में कठिनाई।
  • चेकबुक के प्रयोग में कठिनाई।
  • दिशा ज्ञान का अभाव या अल्प समझ।
  • नकद अंतरण या भुगतान से डर।
  • समय की अनुपयुक्त समझ के कारण समय सारणी बनाने में कठिनाई का अनुभव करना।

डिस्कैलकुलिया के कारण – इसका कारण मस्तिष्क में उपस्थित कार्टेक्स की कार्यविरूपता को माना जाता है। कभी-कभी तार्किक चिंतन क्षमता के अभाव के कारण कार्यकारी समरसता के अभाव के कारण भी डिस्कैलकुलिया उत्पन्न होता है।

डिस्कैलकुलिया का उपचार – उचित शिक्षण के माध्यम से डिस्कैलकुलिया को कम किया जा सकता है। कुछ प्रमुख रणनीतियां निम्नलिखित हैं:

जीवन की वास्तविक परिस्थितियों से संबंधी उदाहरण प्रस्तुत करना
गणितीय तथ्यों को याद करने में बच्चों को मदद करने के लिए उन्हें वास्तविक जीवन की परिस्थितियों से जोड़ा जा सकता है। उदाहरण स्वरूप:

  • मूल्यांकन: बच्चों को वस्तुओं के मूल्य की गणना सिखाने के लिए वेरेन कार्ड या खरीदारी के परिदृश्य का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें वे वास्तविक जीवन की मुद्रा के साथ गणित की समस्याओं को हल करें। इससे उनका गणितीय कौशल बेहतर हो सकता है।
  • समय का प्रबंधन: बच्चों को समय की गणना सिखाने के लिए उन्हें स्कूल और घर के समय-सारणी के उदाहरण दिए जा सकते हैं, जिससे वे समय का सही उपयोग करना सीखें।

गणितीय तथ्यों को याद करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान करना
बच्चों को गणितीय तथ्यों को सही ढंग से याद करने के लिए अतिरिक्त समय देना अत्यधिक सहायक हो सकता है। विशेष रूप से, गणना और सारणी याद करने में मदद करने के लिए बच्चों को ज्यादा समय देना, ताकि वे स्वाभाविक रूप से इन तथ्यों को आत्मसात कर सकें।

फ्लैश कार्ड्स और कम्प्यूटर गेम्स का प्रयोग करना
फ्लैश कार्ड्स का उपयोग एक प्रभावी तरीका हो सकता है, क्योंकि यह बच्चों को सक्रिय रूप से उनके कौशल का परीक्षण करने का अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, गणितीय कौशल को बढ़ाने के लिए कम्प्यूटर गेम्स भी एक अच्छा तरीका हो सकता है, क्योंकि गेम्स बच्चों को आकर्षक तरीके से सीखने में मदद करते हैं।

गणित को सरल करना और यह बताना कि यह एक कौशल है जिसे अर्जित किया जा सकता है
गणित को सरल और आसानी से समझने योग्य बनाने के लिए उदाहरणों और छोटे-छोटे कार्यों का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही, बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि गणित एक कौशल है जो अभ्यास से सिखा जा सकता है और इसमें धीरे-धीरे सुधार हो सकता है।


डिस्फैसिया (Speech Disability)

डिस्फैसिया ग्रीक शब्दों “डिस” (अक्षमता) और “फासिया” (वाक्) से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ “वाक् अक्षमता” है। यह एक भाषा और वाक् संबंधी विकृति है, जिससे ग्रस्त बच्चे विचार की अभिव्यक्ति और व्याख्यान के समय कठिनाई महसूस करते हैं। इस अक्षमता के लिए मुख्य रूप से मस्तिष्क क्षति (ब्रेन डैमेज) को उत्तरदायी माना जाता है।


डीस्प्रैक्सिया (Dyspraxia)

डीस्प्रैक्सिया एक अक्षमता है जो मुख्य रूप से चित्रांकन और शारीरिक समन्वय को प्रभावित करती है। इससे ग्रस्त बच्चे लिखने और चित्र बनाने में कठिनाई महसूस करते हैं।

कारण (Causes)

विशेषज्ञों का मानना है कि सीखने की अक्षमता का कोई एक विशिष्ट कारण नहीं होता। हालांकि, कुछ प्रमुख कारक हैं जो सीखने की अक्षमता का कारण बन सकते हैं:

  1. आनुवंशिकता (Genetics): यह देखा गया है कि यदि माता-पिता में से किसी को विकार हो, तो उनके बच्चे में भी वही विकार होने की संभावना अधिक रहती है।
  2. जन्म के दौरान और बाद में बीमारी: जन्म के दौरान या बाद में कोई बीमारी या चोट सीखने की अक्षमता का कारण बन सकती है। अन्य संभावित कारक गर्भावस्था के दौरान दवा या शराब का सेवन, शारीरिक आघात, गर्भाशय में खराब वृद्धि, समय से पहले जन्म आदि हो सकते हैं।
  3. शैशवावस्था के दौरान तनाव: जन्म के बाद की शैशवावस्था में तनावपूर्ण घटनाएँ जैसे तेज बुखार, सिर में चोट या खराब पोषण भी सीखने की अक्षमता का कारण बन सकती हैं।

सहरुग्णता (Comorbidity)

सीखने की अक्षमता वाले बच्चों में ध्यान समस्याओं या विघटनकारी व्यवहार विकारों के लिए औसत से अधिक जोखिम होता है। उदाहरण के लिए, पठन विकार वाले 25 प्रतिशत बच्चों में एडीएचडी (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) भी होता है। इसके विपरीत, यह अनुमान लगाया गया है कि एडीएचडी के निदान वाले 15 से 30 प्रतिशत बच्चों में सीखने की अक्षमता भी पाई जाती है।

शोध
शोधकर्ताओं ने सीखने की अक्षमता के सभी संभावित कारणों का पता नहीं लगाया है, लेकिन उन्होंने संभावित कारणों को खोजने के लिए कई जोखिम वाले कारकों की पहचान की है। अनुसंधान यह भी दिखा रहा है कि बच्चे का मस्तिष्क पढ़ना, लिखना और गणित कौशल कैसे विकसित करता है, इस पर अध्ययन किया जा रहा है।

गर्भ में विकसित होने वाले भ्रूण को प्रभावित करने वाले कारक
गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को प्रभावित करने वाले कई कारक हो सकते हैं, जिनमें शराब या नशीली दवाओं का उपयोग मुख्य हैं। जब गर्भवती महिला शराब, नशीली दवाएं या अन्य हानिकारक पदार्थों का सेवन करती है, तो इससे बच्चे में मानसिक और शारीरिक विकार पैदा हो सकते हैं। इस तरह के प्रभाव भ्रूण के मस्तिष्क विकास को प्रभावित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बच्चे में सीखने की समस्याएं या विकलांगताएं हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, शिशु के वातावरण में मौजूद अन्य कारक जैसे खराब पोषण, और पानी या पेंट में सीसा का संपर्क भी बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे बच्चों को यदि उचित विकासात्मक सहायता नहीं मिलती है, तो वे सीखने की अक्षमता के लक्षण दिखा सकते हैं।

भारत में विशिष्ट शिक्षण अक्षमता का प्रसार
भारत में विशिष्ट शिक्षण अक्षमता के प्रसार के विभिन्न अध्ययनों में आंकड़े 5% से 15% के बीच पाए गए हैं। इसके अलावा, यह भी पाया गया है कि लड़कों को लड़कियों की तुलना में यह अक्षमता अधिक प्रभावित करती है, जिससे लिंग पूर्वाग्रह भी दिखाई देता है। सह-रुग्णताएं (Comorbidities) में शामिल हैं:

  • अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD)
  • ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर
  • कंडक्ट डिसऑर्डर
  • डिप्रेसिव डिसऑर्डर
  • एंग्जायटी डिसऑर्डर
  • अन्य व्यवहारिक और भावनात्मक विकार

मिथक और तथ्य (Myths and Facts)

  1. मिथक (Myth): एलडी (Learning Disabilities) वाले लोग सीख नहीं सकते।
    तथ्य (Fact): एलडी वाले लोग पूरी तरह से स्मार्ट होते हैं और वे सीख सकते हैं। एलडी का मतलब है कि व्यक्ति अलग-अलग तरीकों से सीखता है, और यह उनकी बुद्धिमत्ता से संबंधित नहीं है।
  2. मिथक (Myth): एलडी वाले लोग आलसी होते हैं।
    तथ्य (Fact): एलडी वाले लोगों को अक्सर अधिक मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन उनकी कठिनाई के कारण परिणाम कभी-कभी उनके प्रयासों के अनुरूप नहीं होते। कुछ लोग निराश हो सकते हैं या आलसी दिखाई दे सकते हैं क्योंकि उन्होंने बहुत संघर्ष किया होता है और वे प्रेरित या उत्साहित महसूस नहीं करते।
  3. मिथक (Myth): आवास (Accommodations) अनुचित लाभ प्रदान करते हैं।
    तथ्य (Fact): आवास एलडी वाले व्यक्तियों को उनकी वास्तविक क्षमता के अनुसार काम करने की अनुमति देते हैं, न कि उनके विकलांगताओं के लिए। ये समायोजन व्यक्ति को अपनी पूरी क्षमता के अनुसार काम करने में मदद करते हैं और निष्पक्ष अवसर प्रदान करते हैं।

5.2 Attention, perception, memory, thinking characteristics, motor perception, (ध्यान, धारणा, स्मृति, सोच विशेषताएँ, मोटर धारणा,)

एलडी से प्रभावित बच्चों में ध्यान, धारणा, स्मृति, सोच और मोटर क्षमता की विभिन्न विशेषताएँ देखी जा सकती हैं:

  • गामक धारणा (Motor Perception):
    गामक धारणा की कमी वाले बच्चों में आंख-हाथ का समन्वय (Eye-Hand Coordination) कमजोर हो सकता है। इस वजह से, वे लिखते समय अपनी स्थिति खो सकते हैं, या पेंसिल, क्रेयॉन, गोंद, कैंची जैसे उपकरणों का सही तरीके से इस्तेमाल करने में संघर्ष कर सकते हैं।
  • दृश्य अवधारणात्मक / दृश्य गामक समस्याएं:
    बच्चों को पढ़ते या कार्य करते समय समान दिखने वाले अक्षरों में भ्रम हो सकता है। वे अपने परिवेश में नेविगेट करने में भी कठिनाई महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा, वे असामान्य नेत्र गतिविधि (Visual Activities) भी प्रदर्शित कर सकते हैं, जैसे बहुत ज्यादा पलकें झपकाना या सही तरीके से देखना नहीं।

यह किसी व्यक्ति की उन सूचनाओं को समझने की क्षमता को कम करता है जो वे देखते हैं, साथ ही दृश्य माध्यमों से एकत्रित जानकारी को खींचने या कॉपी करने और समझने की उनकी क्षमता को भी कम करता है। किसी व्यक्ति की आंखों के चलने के तरीके में दोषों के कारण, दृष्टि के माध्यम से प्राप्त संवेदी डेटा प्रभावित हो सकता है। इन बच्चों की दृश्य हानि पढ़ने की समझ के कौशल को सीमित कर देती है, जिससे ध्यान कम हो जाता है, और जानकारी को आकर्षित या कॉपी करना मुश्किल हो जाता है।

नेशनल सेंटर फॉर लर्निंग डिसएबिलिटीज (2003) के अनुसार :- मस्तिष्क विभिन्न तरीकों से दृश्य जानकारी को संसाधित कर सकता है और इस विकलांगता वाले व्यक्तियों को विभिन्न क्षेत्रों में कठिनाई का अनुभव हो सकता है, और वे केवल एक श्रेणी में कठिनाइयों का अनुभव करने तक सीमित नहीं हैं।

ये कुछ श्रेणियां हैं :-

दृश्य भेदभाव (Visual discrimination):
दृश्य भेदभाव किसी व्यक्ति की एक वस्तु को दूसरे से अलग करने के लिए विभिन्न वस्तुओं की विशेषताओं का पता लगाने और उनकी तुलना करने के लिए अपनी आंखों का उपयोग करने की क्षमता को संदर्भित करता है। इस क्षेत्र में समस्या वाले व्यक्ति को दो समान अक्षरों, वस्तुओं या पैटर्न के बीच अंतर करने में कठिनाई हो सकती है।

विजुअल फिगर-ग्राउंड भेदभाव (Visual figure & ground):
इसमें किसी आकृति और उसके परिवेश के बीच अंतर का निर्धारण करना शामिल है। इस श्रेणी में संघर्ष करने वाले व्यक्ति को शब्दों या संख्याओं से भरे पृष्ठ पर विशिष्ट जानकारी खोजने में परेशानी हो सकती है। विचलित करने वाली पृष्ठभूमि होने पर वे किसी छवि को नोटिस करने के लिए भी संघर्ष कर सकते हैं।

दृश्य अनुक्रमण (Visual sequencing):
प्रतीकों, शब्दों और छवियों के बीच अंतर बताने की क्षमता है। इस श्रेणी में समस्या वाले व्यक्ति पढ़ते समय सही स्थान पर रहने में असमर्थ हो सकते हैं (पंक्तियों को छोड़ना या एक ही पंक्ति को बार-बार पढ़ना), एक अलग उत्तर पत्रक का उपयोग करने में संघर्ष, अक्षरों और शब्दों को उलटने या पढ़ने में कठिनाई होती है।

दृश्य मोटर प्रसंस्करण (Visual motor processing):
यह आंखों से प्रतिक्रिया है जो अन्य व्यक्तियों को लिखने (या रंग भरने) के दौरान लाइनों के बीच रहने के लिए संघर्ष करने की अनुमति देता है, एक बोर्ड से कागज पर कॉपी करता है, चीजों को ट्रिप किए बिना आगे बढ़ता है, और खेल खेलता है जिसमें समय और समय शामिल होता है।

स्थानिक संबंध (Spatial relationships):
यह अंतरिक्ष में किसी वस्तु की पहचान करने और उसे अपने आप से जोड़ने के कौशल को संदर्भित करता है। नेशनल सेंटर फॉर लर्निंग डिसएबिलिटीज, 2003 के अनुसार, इस कठिनाई वाले एक बच्चे को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में परेशानी होगी, एक पृष्ठ पर शब्दों और अक्षरों का अंतर, समय का निर्धारण, और मानचित्र पढ़ना सीखने की अक्षमता ऐतिहासिक रूप से एक मजबूत होने के रूप में विशेषता है।

मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाएं (Psychological Processes):
मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाएं एक व्यापक शब्द है जिसमें व्यापक श्रेणी के सोच कौशल शामिल होते हैं जिनका उपयोग हम जानकारी को संसाधित करने और सीखने के लिए करते हैं।

सीखने की अक्षमता से प्रभावित होने वाली पांच मनोवैज्ञानिक या संज्ञानात्मक प्रक्रियाएं धारणा, ध्यान, स्मृति, मेटाकॉग्निशन और संगठन हैं।

ध्यान (Attention):
एक व्यापक शब्द है जो जानकारी प्राप्त करने और संसाधित करने की क्षमता को संदर्भित करता है। ध्यान की कमी उन विकारों में से एक है जिन्हें शिक्षक अक्सर सीखने की अक्षमता वाले व्यक्तियों के साथ जोड़ते हैं। शिक्षक अपने छात्रों को सीखने की अक्षमता के साथ “विचलित करने योग्य” या “अपनी दुनिया में” के रूप में वर्णित कर सकते हैं। सूचना पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता उपयुक्त उपलब्धि स्तर पर कक्षा में कार्य करने की छात्र की क्षमता को बाधित कर सकती है।

Memory (स्मृति):
मेमोरी में कई अलग-अलग कौशल और प्रक्रियाएं शामिल होती हैं जैसे एन्कोडिंग (सीखने के लिए जानकारी को व्यवस्थित करने की क्षमता)। सीखने की अक्षमता वाले छात्रों को कार्यशील स्मृति में कमी का अनुभव हो सकता है जो नई सूचनाओं को संग्रहीत करने और लंबी अवधि की स्मृति से पहले से संसाधित जानकारी को पुनः प्राप्त करने की उनकी क्षमता को प्रभावित करता है।

मेटाकॉग्निशन (Metacognition):
मेटाकॉग्निशन प्रदर्शन की निगरानी और मूल्यांकन करने की क्षमता है। यह प्रक्रिया अनुभव से सीखने, जानकारी और रणनीतियों को सामान्य बनाने और जो आपने सीखा है उसे लागू करने के लिए कई कुंजी प्रदान करती है। इसे करने की क्षमता की आवश्यकता सूचना के अधिग्रहण को सुविधाजनक बनाने के लिए और तकनीकों को पहचानें और चुनें कौशल जो आपको सेटिंग चुनने या बनाने में मदद करें जहां आपको सामग्री सटीक रूप से प्राप्त होने की सबसे अधिक संभावना हो। इसके अलावा, यह इस बात की पहचान करने में मदद करता है कि किसी विशेष परिस्थिति में आपकी जानकारी को प्रभावी ढंग से कैसे प्रस्तुत किया जा सकता है और अपनी तकनीकों का मूल्यांकन और अनुकूलन किया जा सकता है।

संगठन (Organization):
संगठन इन सभी संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं का सूत्र है। जानकारी को व्यवस्थित करने में असमर्थता सबसे सतही कार्यों या सबसे जटिल संज्ञानात्मक गतिविधियों को प्रभावित कर सकती है। सीखने की अक्षमता वाले छात्रों को उनकी विचार प्रक्रियाओं, उनके कक्षा कार्य और उनके पर्यावरण को व्यवस्थित करने में कठिनाई हो सकती है। इन क्षेत्रों में कोई कमी छात्र की शैक्षणिक सफलता पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है।

साथ में, ये पांच प्रमुख प्रक्रियाएं हमें जानकारी को सही ढंग से प्राप्त करने, आसान सीखने के लिए व्यवस्थित करने, हमारे पास मौजूद अन्य ज्ञान के साथ समानताएं और अंतर की पहचान करने, जानकारी को प्रभावी ढंग से सीखने का एक तरीका चुनने और हमारी सीखने की प्रक्रिया की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने में सक्षम बनाती हैं। यदि किसी छात्र को इनमें से कोई भी या सभी चीजें करने में समस्या होती है, तो यह देखना आसान है कि सभी शिक्षण कैसे प्रभावित हो सकते हैं।


5.3 – Reading related characteristics: पढ़ने से संबंधी विशेषताएं

दृश्य अवधारणात्मक / दृश्य गामक की कमी
वाले व्यक्तियों में आँख-हाथ का समन्वय खराब होता है, पढ़ते समय अक्सर अपनी स्थिति खो देते हैं, और पेंसिल, क्रेयॉन, गोंद, कैंची और अन्य ठीक मोटर कौशल का उपयोग करके संघर्ष करते हैं। कार्यों को पढ़ते या पूरा करते समय, वे समान दिखने वाले अक्षरों को भ्रमित कर सकते हैं, अपने परिवेश को नेविगेट करने में कठिनाई हो सकती है, या असामान्य नेत्र गतिविधि प्रदर्शित कर सकते हैं।

यह किसी व्यक्ति की उन सूचनाओं को समझने की क्षमता को कम करता है जो वे देखते हैं, साथ ही दृश्य माध्यमों से एकत्रित जानकारी को खींचने या कॉपी करने और समझने की उनकी क्षमता को भी कम करता है। किसी व्यक्ति की आँखों के चलने के तरीके में दोषों के कारण, दृष्टि के माध्यम से प्राप्त संवेदी डेटा प्रभावित हो सकता है। इन बच्चों की दृश्य हानि पढ़ने की समझ के कौशल को सीमित कर देती है, जिससे ध्यान कम हो जाता है, और जानकारी को आकर्षित या कॉपी करना मुश्किल हो जाता है।

नेशनल सेंटर फॉर लर्निंग डिसएबिलिटीज (2003) के अनुसार, मस्तिष्क विभिन्न तरीकों से दृश्य जानकारी को संसाधित कर सकता है और इस विकलांगता वाले व्यक्तियों को विभिन्न क्षेत्रों में कठिनाई का अनुभव हो सकता है, और वे केवल एक श्रेणी में कठिनाइयों का अनुभव करने तक सीमित नहीं हैं।

ये कुछ श्रेणियां हैं:

  1. दृश्य भेदभाव (Visual discrimination):
    दृश्य भेदभाव किसी व्यक्ति की एक वस्तु को दूसरे से अलग करने के लिए विभिन्न वस्तुओं की विशेषताओं का पता लगाने और उनकी तुलना करने के लिए अपनी आँखों का उपयोग करने की क्षमता को संदर्भित करता है। इस क्षेत्र में समस्या वाले व्यक्ति को दो समान अक्षरों, वस्तुओं या पैटर्न के बीच अंतर करने में कठिनाई हो सकती है।
  2. विज़ुअल फिगर-ग्राउंड भेदभाव (Visual figure-ground discrimination):
    इसमें किसी आकृति और उसके परिवेश के बीच अंतर का निर्धारण करना शामिल है। इस श्रेणी में संघर्ष करने वाले व्यक्ति को शब्दों या संख्याओं से भरे पृष्ठ पर विशिष्ट जानकारी खोजने में परेशानी हो सकती है। वे विचलित करने वाली पृष्ठभूमि होने पर किसी छवि को नोटिस करने में भी संघर्ष कर सकते हैं।
  3. दृश्य अनुक्रमण (Visual sequencing):
    प्रतीकों, शब्दों और छवियों के बीच अंतर बताने की क्षमता है। इस श्रेणी में समस्या वाले व्यक्ति पढ़ते समय सही स्थान पर रहने में असमर्थ हो सकते हैं (पंक्तियों को छोड़ना या एक ही पंक्ति को बार-बार पढ़ना), एक अलग उत्तर पत्रक का उपयोग करने में संघर्ष, अक्षरों और शब्दों को उलटने या पढ़ने में कठिनाई हो सकती है।
  4. दृश्य मोटर प्रसंस्करण (Visual motor processing):
    यह आंखों से प्रतिक्रिया है जो अन्य व्यक्तियों को लिखने (या रंग भरने) के दौरान लाइनों के बीच रहने के लिए संघर्ष करने की अनुमति देता है, एक बोर्ड से कागज पर कॉपी करता है, चीजों को ट्रिप किए बिना आगे बढ़ता है, और खेल खेलता है जिसमें समय और समय शामिल होता है।
  5. स्थानिक संबंध (Spatial relationships):
    यह अंतरिक्ष में किसी वस्तु की पहचान करने और उसे अपने आप से जोड़ने के कौशल को संदर्भित करता है। नेशनल सेंटर फॉर लर्निंग डिसएबिलिटीज, 2003 के अनुसार, इस कठिनाई वाले एक बच्चे को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में परेशानी होगी, एक पृष्ठ पर शब्दों और अक्षरों का अंतर, समय का निर्धारण, और मानचित्र पढ़ना सीखने की अक्षमता ऐतिहासिक रूप से एक मजबूत होने के रूप में विशेषता है।

मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाएं (Psychological Processes)

मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाएं एक व्यापक शब्द है जिसमें विभिन्न सोच कौशल शामिल होते हैं जिनका उपयोग हम जानकारी को संसाधित करने और सीखने के लिए करते हैं। सीखने की अक्षमता से प्रभावित होने वाली पांच मुख्य मनोवैज्ञानिक या संज्ञानात्मक प्रक्रियाएं हैं:

  1. धारणा (Perception)
  2. ध्यान (Attention)
  3. स्मृति (Memory)
  4. मेटाकॉग्निशन (Metacognition)
  5. संगठन (Organization)

ध्यान (Attention)

ध्यान एक व्यापक शब्द है जो जानकारी प्राप्त करने और उसे संसाधित करने की क्षमता को संदर्भित करता है। ध्यान की कमी उन विकारों में से एक है जिन्हें शिक्षक अक्सर सीखने की अक्षमता वाले व्यक्तियों के साथ जोड़ते हैं। शिक्षक अपने छात्रों को “विचलित करने योग्य” या “अपनी दुनिया में” के रूप में वर्णित कर सकते हैं। सूचना पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता उपयुक्त उपलब्धि स्तर पर कक्षा में कार्य करने की छात्र की क्षमता को बाधित कर सकती है।

Reading related characteristics – पढ़ने से संबंधित विशेषताएं

संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं पर प्रभाव के कारण, सीखने की अक्षमता वाले छात्रों को शैक्षणिक क्षेत्रों के साथ-साथ सामाजिक और भावनात्मक विकास में भी कठिनाई हो सकती है।

पढ़ना सीखने की अक्षमता वाले अधिकांश छात्रों के लिए सबसे कठिन कौशल क्षेत्र है। पढ़ने में सीखने की अक्षमता डिस्लेक्सिया सहित पढ़ने के मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करती है। कुछ सबसे आम पढ़ने की अक्षमता में शब्द विश्लेषण, प्रवाह, और पढ़ने की समझ शामिल हैं।

  1. शब्द विश्लेषण (Word analysis):
    शब्द विश्लेषण में ध्वनियों को लिखने के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न अक्षरों और अक्षरों के संयोजन को जोड़ने की क्षमता शामिल होती है। यह शब्दों को तुरंत पहचानने और याद रखने में मदद करने के लिए आसपास के पाठ का उपयोग करने की क्षमता है। यह पढ़ने के लिए एक मूलभूत कौशल है।
  2. प्रवाह (Fluency):
    प्रवाह सटीक पढ़ने की दर है (प्रति मिनट सही शब्द)। प्रसंस्करण और शब्द विश्लेषण के मुद्दों के साथ, सीखने की अक्षमता वाले छात्र के लिए पढ़ने की प्रवाह की उच्च दर अक्सर काफी कठिन होती है।
  3. रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन (Reading comprehension):
    रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन लिखित सामग्री को समझने की क्षमता है। यदि सीखने की अक्षमता वाले छात्र को लिखित सामग्री पढ़ने में कठिनाई होती है, तो उनकी समझ हमेशा प्रभावित होती है। जबकि शब्द विश्लेषण के साथ समस्याएं पढ़ने की समझ को प्रभावित कर सकती हैं, अन्य कारक जो पढ़ने की समझ में समस्याओं में योगदान कर सकते हैं, उनमें सामग्री से जानकारी को सफलतापूर्वक पहचानने और व्यवस्थित करने में असमर्थता शामिल है।

पढ़ने के लिए रणनीतियाँ (Strategies for reading):

  1. पढ़ने की गतिविधियों के लिए एक शांत क्षेत्र प्रदान करें।
  2. बड़े प्रिंट वाली किताबें और लाइनों के बीच बड़ी जगह का प्रयोग करें।
  3. छात्र को कक्षा नोट्स की एक प्रति प्रदान करें।
  4. पुस्तक रिपोर्ट के लिए वैकल्पिक प्रपत्रों की अनुमति दें।
  5. पाठ पढ़ते समय छात्रों से दृश्य और श्रवण दोनों इंद्रियों का उपयोग करने के लिए कहें।
  6. छात्रों के साथ कहानियां पढ़ें और साझा करें।
  7. छात्रों को अध्याय की रूपरेखा या अध्ययन मार्गदर्शिकाएँ प्रदान करें जो उनके पढ़ने में प्रमुख बिंदुओं को उजागर करती हैं।
  8. छात्रों को उनके चारों ओर पर्यावरण प्रिंट में अक्षरों को नोटिस करने में मदद करें।
  9. छात्रों को उन गतिविधियों में शामिल करें जो उन्हें अक्षरों को दृष्टि से पहचानने में मदद करती हैं।
  10. छात्रों को भाषा में ध्वनियों में भाग लेना सिखाएं।
  11. अपरिचित शब्दों को इंगित करें, उन्हें फिर से देखें और उनके अर्थ का पता लगाएं।
  12. अपरिचित शब्दों के अर्थ जानने के लिए छात्रों को प्रासंगिक सुरागों का उपयोग करना सिखाएं।
  13. चयन पढ़ने के लिए पृष्ठभूमि बनाएं और पाठ संगठन के लिए एक मानसिक योजना बनाएं।
  14. धाराप्रवाह बनाने के लिए छात्रों से हर दिन नई कहानियाँ पढ़ने और पुरानी कहानियों को फिर से पढ़ने को कहें।
  15. छोटे वाक्यों को अलग-अलग शब्दों में तोड़ने का तरीका मॉडल और प्रदर्शित करें।
  16. वर्णमाला पढ़ाते समय, गतिविधियाँ स्पष्ट होनी चाहिए।
  17. छात्रों को पाठ में प्रस्तुत मुख्य विचारों के साथ-साथ सहायक विचारों की पहचान करना सिखाएं।

5.4, Writing related characteristics (लेखन संबंधी विशेषताएं):

संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं पर प्रभाव के कारण, सीखने की अक्षमता वाले छात्रों को शैक्षणिक क्षेत्रों के साथ-साथ सामाजिक और भावनात्मक विकास में कठिनाई हो सकती है। पढ़ाई और लेखन सीखने की अक्षमता वाले अधिकांश छात्रों के लिए कठिन कौशल क्षेत्र होते हैं। पढ़ने में सीखने की अक्षमता डिस्लेक्सिया सहित पढ़ने के मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करती है।

कुछ सबसे आम पढ़ने की अक्षमता में शब्द विश्लेषण, प्रवाह, और पढ़ने की समझ हैं। शब्द विश्लेषण में ध्वनियों को लिखने के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न अक्षरों और अक्षरों के संयोजन के साथ जोड़ने की क्षमता, शब्दों को तुरंत पहचानने और याद रखने, और किसी विशिष्ट शब्द को समझने में मदद करने के लिए आसपास के पाठ का उपयोग करने की क्षमता शामिल है।


Writing related characteristics :

Language arts (भाषा कला):

सीखने की अक्षमता वाले छात्रों के लिए भाषा कला अक्सर एक और समस्याग्रस्त शैक्षणिक क्षेत्र होता है। भाषा कला एक व्यापक विषय है, लेकिन सीखने की अक्षमता वाले छात्रों को तीन प्रमुख कौशल क्षेत्रों में समस्याएं होती हैं जो पूरे विषय को प्रभावित करती हैं: इनमे वर्तनी (Spelling),बोली जाने वाली भाषा (Spoken language)लिखित भाषा (Written language) शामिल है।

इनमें से कुछ कौशलों का पठन क्षमता के साथ घनिष्ठ संबंध होने के कारण, वे सीखने की अक्षमता वाले कई छात्रों के लिए बड़ी कठिनाई का क्षेत्र बन जाते हैं।

सीखने की अक्षमता वाले छात्रों को ध्वन्यात्मकता के नियमों को सीखने और लागू करने, शब्द को सही ढंग से देखने और वर्तनी का मूल्यांकन करने में कठिनाई होती है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर गलत वर्तनी होती है, भले ही वे पढ़ने में अधिक कुशल हो जाते हैं।

बोली जाने वाली भाषा, या मौखिक भाषा, सीखने की अक्षमता वाले कई छात्रों के लिए एक कमी वाला क्षेत्र है, जो अकादमिक और सामाजिक प्रदर्शन दोनों को प्रभावित करता है। बोली जाने वाली भाषा के मुद्दों में उचित भाषण ध्वनियों की पहचान करने और उनका उपयोग करने, उपयुक्त शब्दों का उपयोग करने और शब्द अर्थों को समझने, विभिन्न वाक्य संरचनाओं का उपयोग करने और समझने और उपयुक्त व्याकरण और भाषा का उपयोग करने में समस्याएं शामिल हो सकती हैं। अन्य समस्या क्षेत्रों में अंतर्निहित अर्थों को समझना शामिल है, जैसे कि विडंबना या आलंकारिक भाषा, और विभिन्न उपयोगों और उद्देश्यों के लिए भाषा को समायोजित करना।

सीखने की अक्षमता वाले छात्रों के लिए लिखित भाषा अक्सर बड़ी कठिनाई का क्षेत्र होती है। विशिष्ट समस्याओं में अपर्याप्त योजना, संरचना और संगठन शामिल हैं, अपरिपक्व या सीमित वाक्य संरचनाएँ, सीमित और दोहरावदार शब्दावली, दर्शकों का सीमित विचार, अनावश्यक या असंबंधित जानकारी या विवरण, और वर्तनी, विराम चिह्न, व्याकरण और लिखावट में त्रुटियां। अक्सर प्रेरणा और निगरानी और मूल्यांकन कौशल दोनों की कमी होती है, जिसे अच्छे लेखन के लिए आवश्यक माना जाता है।

लिखने की रणनीतियाँ (Strategies for writing):

  1. जब भी संभव हो, लिखित परीक्षा के स्थान पर मौखिक परीक्षा का प्रयोग करें।
  2. कक्षा में टेप रिकॉर्डर के उपयोग की अनुमति दें।
  3. लेखन की मात्रा को कम करने के लिए नोट्स या रूपरेखा प्रदान करें।
  4. लिखने के लिए लैपटॉप या अन्य कंप्यूटर के उपयोग की अनुमति दें।
  5. उस नकल को कम करें जो छात्र को करने की आवश्यकता होती है (उदाहरण के लिए, पूर्व-मुद्रित गणित की समस्याएं पेश करें)।
  6. विस्तृत रूल पेपर, ग्राफ पेपर और पेंसिल ग्रिप्स उपलब्ध रखें।
  7. लेखन प्रक्रिया सिखाने के लिए स्मरणीय उपकरणों का उपयोग करें।
  8. लेखन कार्य को छोटा करें और यदि आवश्यक हो तो अतिरिक्त समय दें।
  9. लिखने में संक्षिप्ताक्षरों के उपयोग की अनुमति दें, और छात्र को उपयुक्त संक्षिप्त रूपों की एक सूची उपलब्ध कराएं।
  10. जटिल असाइनमेंट के दौरान कुछ कार्य आवश्यकताओं को तनाव या कम करें।

5.5 Math Related Characteristics (गणित से संबंधित विशेषताएं):

गणित को पढ़ने और भाषा कला के समान ध्यान नहीं दिया जाता है, लेकिन सीखने की अक्षमता वाले कई छात्रों को इस उप-क्षेत्र में अद्वितीय कठिनाइयां होती हैं। विशिष्ट समस्याओं में आकार और स्थानिक संबंधों को समझने में कठिनाई और दिशा से संबंधित अवधारणाएं, स्थानीय मान, दशमलव, भिन्न, और समय और गणित के तथ्यों को याद रखने में कठिनाई शामिल होती है।

गणितीय समस्याओं के चरणों को याद रखना और सही करना और शब्द समस्याओं को पढ़ना और हल करना महत्वपूर्ण समस्या क्षेत्र हैं।

  • संख्याओं और मात्राओं को संसाधित करने में कठिनाइयाँ, जिनमें शामिल हैं:
  • किसी संख्या को उस मात्रा से जोड़ना जो वह दर्शाती है।
  • गिनती, पीछे और आगे।
  • दो राशियों की तुलना करना।
  • संख्याओं और प्रतीकों को राशियों से जोड़ने में कठिनाई।
  • मानसिक गणित और समस्या समाधान में परेशानी।
  • पैसे की समझ बनाने और मात्राओं का अनुमान लगाने में कठिनाई।
  • एनालॉग घड़ी पर समय बताने में कठिनाई।
  • खराब दृश्य और स्थानिक अभिविन्यास।
  • दिशा को तुरंत छांटने में कठिनाई (दाएं से दाएं, बाएं से बाएं)।
  • पैटर्न और क्रम संख्या पहचानने में परेशानी।

गणित के लिए रणनीति (Strategies for Math):

  1. उंगलियों और स्क्रैच पेपर के उपयोग की अनुमति दें।
  2. आरेखों का प्रयोग करें और गणित की अवधारणाएं बनाएं।
  3. वर्तमान गतिविधियाँ जिनमें सभी संवेदी तौर-तरीके शामिल हैं, जैसे श्रवण, दृश्य, स्पर्शनीय और गतिज।
  4. साथियों की सहायता और शिक्षण के अवसरों की व्यवस्था करें।
  5. ग्राफ पेपर उपलब्ध रखें ताकि छात्र गणित की समस्याओं में संख्याओं को संरेखित कर सकें।
  6. समस्याओं को अलग करने के लिए रंगीन पेंसिल का प्रयोग करें।
  7. गणित के तथ्यों के साथ ड्रिल और अभ्यास के लिए कंप्यूटर का समय निर्धारित करें।
  8. गणित के तथ्यों को सिखाने के लिए ताल और संगीत का उपयोग करें और एक ताल के लिए कदम सेट करें।
  9. अभ्यास के लिए खेल जैसी सामग्री का उपयोग करें, जो संवादात्मक और प्रेरक हों।
  10. महारत के लिए प्रति समूह गणित के तथ्यों की कम संख्या का उपयोग करें, और मिश्रित समूहों के साथ अक्सर अभ्यास करें।
  11. गणित की अवधारणा के चरणों को सिखाने के लिए स्मरणीय उपकरणों का उपयोग करें।

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