Teachers के मानदेय में 5% बढ़ोतरी करेंगी सरकार :-
राजस्थान में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में स्थायी शिक्षक नियुक्ति पर संकट, संविदा शिक्षक बने सहारा :-
राजस्थान में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की स्थिति गंभीर होती जा रही है। पांच सालों के बाद भी इन स्कूलों में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है, जिससे बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ रहा है। इन स्कूलों में पढ़ाई के लिए संविदा शिक्षक और शिक्षा विभाग के प्रतिनियुक्त शिक्षक ही एकमात्र सहारा बने हुए हैं।
सरकार का ऐलान हैं संविदा शिक्षक अच्छा पढ़ाएंगे तो मानदेय में 5% करेंगे बढ़ोतरी
शिक्षकों की कमी, संविदा शिक्षक पर निर्भरता :-
राज्य सरकार ने इन स्कूलों में स्थायी शिक्षकों की भर्ती की कई बार कोशिश की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। न तो स्थायी और न ही अस्थायी शिक्षकों की भर्ती पूरी हो सकी है। इसके परिणामस्वरूप, स्कूलों में शिक्षक कमी का सामना कर रहे हैं, और बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।
सरकार ने इस स्थिति में संविदा शिक्षकों को सहायता देने के लिए एक नया कदम उठाया है। अब महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ाने वाले संविदा शिक्षकों को ग्रीष्मावकाश के दौरान मानदेय देने का फैसला किया गया है। खास बात यह है कि जो शिक्षक बच्चों को अच्छे से पढ़ाएंगे, उनके मानदेय में 5% की बढ़ोतरी भी की जाएगी।

संविदा शिक्षकों की भर्ती में कमी :-
राज्य में 3500 से अधिक अंग्रेजी माध्यम स्कूल हैं, जहां करीब 10,000 संविदा शिक्षकों की आवश्यकता है। हालांकि, अस्थायी नौकरी की वजह से बेरोजगारों में उत्साह नहीं दिखा, और सिर्फ 4,500 संविदा शिक्षक ही नियुक्त किए जा सके। अभी भी 5,500 पद खाली हैं।
शिक्षकों की परीक्षा का परिणाम रुका, पढ़ाई पर असर :-
शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग 87,000 शिक्षकों ने भाग लिया। हालांकि, परिणाम अभी तक नहीं आया है, जिससे शिक्षकों की नियुक्ति में देरी हो रही है और महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
पिछली सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया अपनाई थी, जबकि वर्तमान सरकार ने लिखित परीक्षा को प्राथमिकता दी है। इसके कारण शिक्षकों का गृह जिलों में स्थानांतरण और बच्चों की पढ़ाई दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं।
अभिभावकों का बढ़ता हुआ असंतोष :-
महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराने वाले अभिभावक भी निराश हैं। निजी स्कूलों से बच्चों का टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) कटवाकर इन स्कूलों में दाखिला कराना उनकी मजबूरी बन चुका है। अभिभावकों का कहना है कि बेहतर शिक्षक और संसाधन की उम्मीद में उन्होंने बच्चों को इन स्कूलों में दाखिला कराया था, लेकिन अब शिक्षक और संसाधनों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
स्कूलों में संसाधनों की भी कमी :-
महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्री-प्राइमरी स्तर पर बच्चों के लिए लर्निंग मैटेरियल की भारी कमी है। इसके अलावा, कई स्कूलों में हिन्दी माध्यम के भवनों में ही अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं चल रही हैं, जिससे बच्चों को समुचित शैक्षिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
संविदा शिक्षकों के लिए राहत :-
सरकार ने संविदा शिक्षकों के लिए ग्रीष्मावकाश के मानदेय को मंजूरी दी है, और पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी से उनके मानदेय में इजाफा होगा। यह कदम उन्हें राहत देने के साथ-साथ उनकी मेहनत का सम्मान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की स्थिति को लेकर चिंता बढ़ रही है। यदि शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले समय में बच्चों के भविष्य पर गंभीर असर पड़ सकता है।
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